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जनता की आवाज : KCG जिले में मोतियाबिंद की मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी : अब तक नहीं हो सका जिला स्तर पर सोसायटी का गठन


Dinesh Sahu
06-05-2023 03:53 PM
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Dinesh Sahu khairagarh
खैरागढ़ ! DNnews - केसीजी जिला में ( DBCS ) जिला अंधत्व निवारण समिति का अभी तक गठन नहीं हुआ है.जिससे जिले में मोतिया बिन्द मरीजों की संख्या में दिनोदिन बढ़ोत्तरी हो रही. केसीजी जिला राजनांदगाव जिले थे तब खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिले के मरीज राजनांदगाव में सेवा दे रहे अस्पतालों में निशुल्क मोतियाबिंद का इलाज कराते थे. लेकिन जब से केसीजी जिले का गठन हुआ है तब से यहां के मरीजों को मोतियाबिन्द का इलाज कराने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है
गांव गांव में बढ़ रहे मोतियाबिंद मरीजों की संख्या
बता दें कि केसीजी जिले के वनांचल से लेकर मैदानी इलाको के मरीज पूर्व में राजनांदगाव के जिला अस्पताल, क्रिश्चियन फैलोशिप व उदयाचल अस्पताल में मोतियाबिंद का इलाज आसानी से करवा लेते थे. लेकिन जिला निर्माण के बाद गरीब तबके के मोतियाबिंद के मरीजों को भारी परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है.अब तक सोसायटी गठन नहीं होने के कारण सेवा का लाभ नहीं ले पा रहे है.यानि वर्तमान में गरीब तबके के लोग मोतियाबिंद का इलाज नहीं करवा पा रहे है.
जिला प्रशासन संवेदनशीलता से लें काम
जिला अंधत्व निवारण समिति में जिले के कलेक्टर अध्यक्ष होता है वही सीएमएचओ सचिव होता है. इसके आलावा एनजीओ, समाजसेवी संस्था व अन्य इनके सदस्य होता है. जिला अंधत्व निवारण समिति का संचालन यही से ही होता है. बता दे कि अधिकृत अस्पताल से जिले के मोतियाबिन्द के मरीजों का इलाज निशुल्क किया जाता है.जहां नेत्र सेवा करने वाले अस्पतालों को गांव में निवासरत मोतियाबिंद के मरीजों का इलाज के साथ-साथ फालोअप में जरुरत के हिसाब से रूटीन चेकअप भी करना होता है,और यही होता आया है. लेकिन जब से खैरागढ़ - छुईखदान - गंडई जिला के अस्तित्व में आया है तब से शहरी क्षेत्रों के अलाना ग्रामीण क्षेत्रों में मोतियाबिंद की बाढ़ लग गई है
रोकथाम दे लिए सोसायटी का गठन जरुरी
जिले में मोतियाबिंद के रोकथाम के लिए डिस्ट्रिक ब्लाइंडनेस कंट्रोल सोसायटी ( DBCS) का गठन बहुत ही जरूरी हो गया है. समय रहते यदि सोसायटी का गठन नहीं किया गया तोगरीब तबके के मोतियाबिंद के मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
जानिए क्या होता है मोतियाबिंद?
लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील उतक है।सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना को जाता है। एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं।
रेटिना शार्प इमेज प्राप्त करे इसके लिए जरूरी है कि लेंस क्लियर हो। जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है।इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं।
नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने (विशेषकर रात के समय) में समस्या आती है।
शामिल करें। इनमें बहुत सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
धुम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम से कम करें
उपचार
जब चश्मे या लेंस से आपको स्पष्ट दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित होने लगती है। सर्जरी में जल्दबाजी न करें, क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो इसमें देरी न करें।
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